चढ़त पंजाब दी
जगराओं, /लुधियाना ,9 मई (सत पाल सोनी): आजकल कई लोग ऐसे हैं जो अपनी आजादी के लिए शादी के बाद अपने मां-बाप को ही घर से निकाल देते है, जिस कारण आज कई माताएं दूसरों के आश्रय में जीवन बिता रही हैं। ऐसी ही माताओं के उत्थान व अधिकार के लिए काम रही हैं जगराओं की आयुर्वेदिक डा. रनदीप कौर सिद्धू। डा. सिद्धू बताती हैं कि जब उनकी शादी बलबीर शारदा से हुई तभी ठान लिया था कि आगे चलकर समाज के जरूरतमंदों की सहायता के लिए जरूर कुछ करूंगी।इसी सोच के तहत लाडोवाल के पास कुतबेवाल गुजरखां में एक एकड़ जमीन ली और फिर वहां दो बड़े हाल, बाथरूम व किचन बनाया। यहां बेसहारा माताओं को आश्रय देने का फैसला किया गया और नाम रखा गया ‘मांवां दा आश्रम’। अभी आश्रम में हैं 37 माताएं डा. सिद्धू ने कहा कि पिछले ढाई वर्ष में उनके आश्रम में 78 महिलाएं (बुजुर्ग व अपाहिज व स्पेशल) आई, जिनकी काउंसलिंग, देखभाल व उपचार किया गया।
माताओं की देखभाल के लिए चार केयर टेकर:
33 महिलाओं को दोबारा उनके घर भी पहुंचाया। आठ महिलाओं का देहांत हो चुका है और अभी 37 महिलाएं आश्रम में ही हैं। डा. रनदीप ने कहा कि माताओं के देखभाल के लिए चार केयर टेकर हैं। माताओं के लिए तीन समय पौष्टिक खाने के साथ ही चाय पानी की भी बढि़या व्यवस्था की गई है। सुबह-शाम उन्हें सैर भी करवाई जाती है। डा. रनदीप ने कहा कि हमें अपने बच्चों को ऐसे संस्कार देने चाहिए कि वे हमारी बुढ़ापे में सहारा बनें।