सत पाल सोनी
चढ़त पंजाब दी
लुधियाना – मणिपुर एकता दिवस मनाने के राष्ट्रव्यापी निमंत्रण पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) जिला लुधियाना द्वारा पंजाब इसतरी सभा जिला लुधियाना, इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलपमेंट, भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था और ऐसे अन्य सामाजिक संगठनों के साथ एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य में हिंसा को नियंत्रित करने में केंद्र और मणिपुर राज्य सरकार की विफलता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस तथ्य के बावजूद कि स्थिति दिन–ब–दिन बिगड़ती जा रही है, प्रधान मंत्री ने इन परिस्थितियों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जब मणिपुर जैसा अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य जल रहा था, तब प्रधानमंत्री विदेशी दौरों में व्यस्त थे।अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि सरकार को 4 मई को महिलाओं की नग्न परेड और बलात्कार की भयावह हिंसा की पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने इसे छुपाया। यह महिलाओं के प्रति उनकी मानसिकता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय महिला आयोग को 9 मई को घटना के बारे में एक ईमेल मिला। यह माना नहीं जा सकता कि प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी नहीं दी गई। प्रधानमंत्री की लगातार चुप्पी हिंसा के प्रति उनके अंतर्निहित समर्थन को दर्शाती है। यह बेहद निंदनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री जो हमेशा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं, उन्होंने इस तरह का व्यवहार किया है। यह 2002 के गुजरात की याद दिलाता है जब उन्होंने उस हिंसा पर पूरी तरह से चुप्पी साध ली थी जिसके कारण नरसंहार हुआ था और लगभग 2500 लोग मारे गए थे। तब भी गुजरात और केंद्र में बीजेपी की सरकार थी।
20 जुलाई को मणिपुर के बारे उनके भाषण के शब्द राज्य में हिंसा और पीड़ित महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता से ज्यादा राजनीतिक थे। यह उनकी मानसिकता का परिचायक है। इस के ऊपर दुःख की बात यह हे कि यह सभ उस वक्त हो रहा है जब देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी और औरत है । इतिहास हमें बताता है कि जब हाथर्स की गरीब लड़की के साथ बलात्कार किया गया और फिर बाद में उसके परिवार के सदस्यों के बिना पुलिस ने उसे जला दिया, तो उनहोंने एक शब्द भी नहीं कहा; बिलकिस बानो परिवार के बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाई पर एक भी शब्द नहीं बोला; उन्होंने देश का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवानों के साथ जिस तरह क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया और यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बचाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल किया, वह हमारे सामने है।
वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में गुंडागर्दी और हिंसा के बाद डबल इंजन सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। मणिपुर पर केंद्र सरकार की चुप्पी हिंसा को मौन समर्थन का प्रतीक है। राज्य व केंद्र सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए। इस पूरी तरह से असंवेदनशील सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट होने का समय आ गया है। पंजाबी भवन से लघु सचिवालय तक इस विरोध मार्च में बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका गया।देश के राष्ट्रपति को ई–मेल के जरिए केंद्र सरकार और मणिपुर की राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई ।
बोलने वालों में कामरेड डीपी मौड जिला सचिव, डॉ. अरुण मित्रा, एम एस भाटिया, चमकौर सिंह, विजय कुमार, केवल सिंह बनवैत, गुरमेल मेल्डे, विनोद कुमार, अवतार छिब्बर, डॉ. गुुरचरण कौर कोचर – अध्यक्ष पंजाब महिला सभा लुधियाना, कुसुम लता – महासचिव भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था, सुषमा उबराय, अनु भट्टी, कुलवंत कौर, शकुंतला देवी, अमृतपाल सिंह, हरबंस सिंह गिल, सिकंदर सिद्धू, बापू बलकौर सिंह गिल, डॉ. बीएस औलख, मलकीत सिंह मालरा आदि शामिल थे।
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1569110cookie-checkमणिपुर में गुंडागर्दी और हिंसा के बाद डबल इंजन सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं: सीपीआई